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" कैलासनाथ मंदिर देख विस्मय इस बात का भी था कि ये जगह संसार की सबसे प्रसिद्ध जगह क्यों नहीं है? एक साथ तीन धर्म की गुफाएँ? मानों किसी युग में संसार के सबसे अच्छे विश्वविद्यालय की तीन उत्कृष्ट प्रयोगशालाएँ रही हों। सुख-दुःख, जीवन-मृत्यु, ब्रह्म, दर्शन, ज्ञान, कर्म, योग, वैशेषिक, सांख्य, वेदांत, अनेकांत, निर्वाण, संघ, शून्यवाद, अनंत - सब कुछ मथ कर सार तत्व निकाल देने वाली प्रयोगशालाएं। विचारों की। शास्त्रार्थ की। परम्परा जो इन अद्भुत मानवी कृति की तरह ही समय के साथ जंगल में कहीं खो गयी। वो कैसा युग रहा होगा! धर्म ऐसे ही तो होने चाहिए। "
― Abhishek Ojha , लेबंटी चाह | Lebanti Chah